प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

199 Part

129 times read

1 Liked

... इस तिरस्कार से राय साहब कुछ धीमे पड़ गये। लज्जित हो कर बोले, हाँ सम्भव है, इसीलिए कि अब मैं बूढा हुआ। कुछ का कुछ देखता हूँ, कुछ का कुछ ...

Chapter

×